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कुम्भकर्णीय नींद से जिम्मेदार शिक्षा अधिकारी कब जागेंगे या फिर धृतराष्ट्र की तरह आँखों में पट्टी बांधकर सब को अंधेरे में रखेंगे?

स्कूल में शासन की कौन-कौन सी योजनाए संचालित हो रही है तो प्रधानपाठक ने तत्काल जवाब दिया कि मुझे नहीं मालूम….



रायपुर /बिलासपुर बस्तर के माटी समाचार । वैसे सरकारी शिक्षा का हाल किसी से छुपा नहीं है लेकिन यदि स्कूल के प्रधान पाठक ही शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं के विषय में जो बच्चों को मुफ्त में मिलती हो कि जानकारी नहीं है कह दें तो फिर आगे कुछ कहना बेमानी होगा। मतलब साफ है कि उच्च शिक्षा अधिकारी निरीक्षण में जाते नहीं इसलिए शिक्षकों को भी अधिकारियों का डर नहीं।



जी हाँ हम बात कर रहे हैं तखतपुर विकास खंड कार्यालय अंतर्गत उधार की बिल्डिंग में संचालित पूर्व माध्यमिक शाला पांड़ की जहाँ एक प्रधानपाठक महेंद्र कौशिक व पांच शिक्षक पदस्थ हैं। दर्ज बच्चों की संख्या 80 है जिसमें मात्र 51 बच्चे की स्कूल आए थे। दो शिक्षक अनुपस्थित थे।



ज्यादातर स्कूलों में शिक्षक परिचय दीवार पर लगा होता है लेकिन इस शाला में शिक्षक परिचय ही नहीं लगा है।

प्रधानपाठक नें बताया कि गाँव में भागवत कथा हो रही है इसलिए बच्चों की उपस्थिति कम है। लेकिन परीक्षा के दिनों में 100% उपस्थिति होती है। भई ये सरकारी स्कूल है यहाँ चमत्कारी ढंग से सब कुछ संभव है।
हमनें जब पूछा कि स्कूल में शासन की कौन कौन सी योजना संचालित हो रही है तब उन्होंने तत्काल जवाब दिया कि मुझे नहीं मालूम कि शासन की कौन कौन सी योजनाएं संचालित हैं।



ऐसा जवाब सुनकर हमें बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं हुआ, हो भी क्यों? इस जवाब से साफ है कि ना तो प्रधानपाठक को स्कूल से कोई मतलब है ना बच्चों के भविष्य से ना ही शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं से ना ही सिविल सेवा आचरण नियम से।

ऐसा लगता है कि प्रधानपाठक इशारों ही इशारों में तनख्वाह खोर शिक्षा अधिकारियों को एक महत्वपूर्ण संदेश दे रहे हैं कि साहब पहली फुर्सत निकाल कर हमारे उधार के स्कूल भवन का निरीक्षण तो करिए और देखिए हम क्या कर रहे हैं?



वैसे इस उधार के स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए बैंच की व्यवस्था तो है लेकिन शिक्षक नें बताया कि प्राथमिक शाला के प्रधानपाठक का कहना है कि बैंच के रखने पर टाइल्स खराब हो जाएगा इसलिए आप अपने बच्चों को नीचे ही बिठाइए।

भई सरकारी स्कूल है यहां जो ना हो कम है? और फिर अधिकारियों को इतनी फुर्सत ही कहाँ की खुद से निकल कर स्कूलों का दौरा करें। समस्याओं को हल करें। इसलिए सबकी मनमर्जी जारी है।


बहरहाल देखना होगा कि कुम्भकर्णीय नींद से जिम्मेदार शिक्षा अधिकारी कब जागेंगे या फिर धृतराष्ट्र की तरह आँखों में पट्टी बांधकर सब को अंधेरे में रखेंगे?

अंत में एक सवाल कि जब भी कलेक्टर बिलासपुर शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक रखते हैं तो अधिकारी कागजी रिपोर्ट देते हैं या जमीनी हकीकत?

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