RNI NO. CHHHIN /2021 /85302
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*ट्रैक्टर चलित सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल से धान की कतार बोनी यंत्रों का प्रदर्शन*

सुकमा, 06 जुलाई 2024/ जिले में अभी भी धान की बुआई छिड़काय पद्धति से की जाती है, जिसके फलस्वरूप निदाई का कार्य हाथ से करना पड़ता है। ज्यादातर किसान समय पर मजदूर नहीं मिलने पर निंदा(खरपतवार) नियंत्रण नहीं कर पाते। छिड़काव पद्धति में निंदा(खरपतवार) नियंत्रण के लिए किसी भी उन्नत कृषि उपकरण प्रयोग में नहीं लाया जा सकता। यदि कतार में धान की बुआई की जाये तो काफी हद तक इन समस्याओं को कम किया जा सकता है। इस दिशा में कृषि विज्ञान केन्द्र सुकमा द्वारा भरपूर प्रयास किया जा रहा है। समय समय पर प्रशिक्षण के माध्यम से नई उन्नत कृषि यंत्री की उपयोगिता से जिले के किसानी को अवगत कराया जाता है। तथा कृषि विज्ञान केन्द्र प्रक्षेत्र में उन्नत कृषि यंत्रों का प्रदर्शन करने के साथ साथ अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के अंतर्गत सीधे किसान के खेत में भी यंत्रों का प्रदर्शन किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान नई कृषि तकनीकों का लाभ उठा सके।

कृषि विज्ञान केन्द्र सुकमा द्वारा जिले के छिंदगढ़ व सुकमा विकासखण्ड के किसानों को इस तकनीक से संबंधित प्रशिक्षण देकर उनके खेतों में अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के अंतर्गत ट्रैक्टर चलित सीड ड्रिल से धान की सीधी बुआई किया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र सुकमा के कृषि अभियांत्रिकी के विशेषज्ञा डी (इंजि) परमानंद साहू ने बताया कि इस यंत्र (सीड-कम-फर्टिलाईजर ड्रिल) के उपयोग से किसानों के समय, श्रम, एवं अतिरिक्त लागत में कमी लायी जा सकती है। इस यंत्र में बीज व खाद के लिए दो अलग बॉक्स होते हैं। जिसके कारण किसान खाद और बीज दोनों को एक साथ उपयोग में ला सकता है। जिससे खाद के छिड़काव के लिए अतिरिक्त श्रमिक की आवश्यकता नहीं होती। एक बार में इससे 9 से 11 कतारों में बोनी हो जाती है। इस यंत्र की दक्षमता 1 से 1.50 एकड़ प्रति घंटा है। इस यंत्र को 25-30 एच.पी. या उससे उपर के ट्रैक्टर से आसानी से चलाया जा सकता है। पारंपरिक विधि की तुलना में कतार बोनी से धान का उत्पादन 15 से 40 प्रतिशत अधिक लिया जा सकता है। छिडकाव पद्धति की तुलना में कतार बोनी में बीज कम लगता है। प्रति इकाई क्षेत्रफल में पौधों की संख्या पर्याप्त मात्रा में होती है। निदाई का कार्य सरलता से एवं कम खर्च पर कर सकते है। कटाई का कार्य भी स्वचलित एवं अन्य कटाई यंत्रो से सरलता से कम समय एवं कम खर्च पर किया जा सकता है। खाय एवं पौध संरक्षण दवाई का उपयोग ज्यादा दक्षता से किया जा सकता है।

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