


आमलीपदर गांव में इस बार होली का पर्व पूरे हर्षोल्लास और भाईचारे के साथ मनाया गया। सुबह से ही गांव के हर गली और चौराहे पर रंगों की बौछार और “होली है!” की गूंज सुनाई दे रही थी। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने रंगों की इस मस्ती का भरपूर आनंद लिया।

होली के दिन सुबह होते ही गांव के लोग इकट्ठा हुए और एक-दूसरे को गुलाल लगाकर शुभकामनाएं दीं। महिलाएं और युवतियां पारंपरिक गीतों पर झूमती रहीं, जबकि युवक और बुजुर्ग ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते रहे। पूरे गांव का माहौल उल्लासमय हो गया था।

गांव के प्रमुख चौराहों पर गुलाल और रंगों की धूम रही। लोग आपस में मिठाइयां बांटते नजर आए। बच्चों के चेहरे पर रंगों की चमक और खुशी देखते ही बन रही थी। गांव के बुजुर्गों ने इस मौके पर बच्चों को आशीर्वाद दिया और कहा कि होली का पर्व गांव की एकता और आपसी प्रेम का प्रतीक है।

ग्रामवासी रामसिंह ने बताया कि इस बार की होली गांव के इतिहास में सबसे खास रही। उन्होंने कहा, “गांव के हर घर से लोग निकलकर एक-दूसरे के घर गए और गुलाल लगाकर बधाइयां दीं। इससे आपसी प्रेम और सद्भाव और मजबूत हुआ है।”


होली के इस आयोजन से एक दिन पहले ग्राम के प्रमुख दोनों जगन्नाथ मंदिरों के पास बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने एकत्र होकर होलिका दहन किया। इस दौरान ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाच-गान हुआ और लोगों ने सुख-समृद्धि की कामना की। होली के दिन पूरे गांव में आपसी सौहार्द और प्रेम का माहौल देखने को मिला।

गांव के वरिष्ठ नागरिकों ने कहा कि इसी तरह हर साल होली का यह पावन पर्व प्रेम और भाईचारे के साथ मनाया जाएगा।

