
अमलीपदर, 14 अप्रैल:
डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती इस वर्ष अमलीपदर में ऐतिहासिक रूप से मनाई गई। पहली बार इस गांव में अंबेडकर जयंती पर भव्य रैली का आयोजन किया गया, जिसमें क्षेत्रवासियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। डीजे की धुन पर थिरकते युवाओं और नारों की गूंज से पूरा गांव गूंज उठा—“डॉ. भीमराव अंबेडकर अमर रहें”, “जब तक सूरज चाँद रहेगा, बाबा तेरे नाम रहेगा”।

इस रैली का नेतृत्व दो महिला नेत्रियों—सूरती ध्रुवा और अमलीपदर की सरपंच हेमो बाई नागेश ने किया। उनके साथ धन सिंह कुंजाम, डोमार मरकाम, छंदों मरकाम, दुर्जन नागेश, हेमसिंह नागेश, गोविंद नागेश, धन सिंह मरकाम, बबलू मरकाम, ओमकार नागेश, लालबाई नागेश, नर्सिंग नेताम, डोमार नेताम, सेसम्मल मरकाम, मुरारी मरकाम, कमल सौरी, प्रवीण नागेश, भोला नागेश, नीलाधार प्रधान और मानसिंह सोम सहित सर्व आदिवासी समाज के कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

नगर परिक्रमा कुर्ला पर से शुरू होकर बस स्टैंड तक और फिर वापसी कुर्ला पर तक की गई। पूरे मार्ग में लोगों ने स्वागत किया और अंबेडकर जी के विचारों को दोहराया।
कार्यक्रम के दौरान सूरती ध्रुवा ने अपने उद्बोधन में संविधान के महत्व को रेखांकित किया। वहीं सरपंच हेमो बाई नागेश ने बाबा साहब की जीवनी और उनके संघर्षों पर प्रकाश डालते हुए समाज को उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा दी।

इस ऐतिहासिक रैली में हजारों लोगों की भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि अंबेडकर जी का विचार और आदर्श आज भी समाज के दिलों में जीवित है। पहली बार आयोजित हुई इस रैली को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला और इसे पूर्ण रूप से सफल बनाया गया।