

गरियाबंद,28. 02. 2025
अमलीपदर क्षेत्र में बहुमूल्य सागौन पेड़ों की अनदेखी से सरकार को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। पिछले दो वर्षों से एक विशाल सागौन का पेड़, बीच रास्ते में उखड़कर गिरा पड़ा है। एक समय इस क्षेत्र बहुमूल्य सागौन लकड़ी के लिए प्रसिद्ध था । कुईमाल _डोंगरी पारा रोड किनारे उखड़ चुका इस विशाल सागौन पेड़ की देखभाल करने वाला कोई नहीं है, और अब यह 50 प्रतिशत ,दीमक के हवाले हो चुका है। यही हाल , गरियाबंद _ देभोग सड़क किनारे पड़े कई सारे सागौन पेड़ का भी है , जो किसी कारण धराशाई हो चुका है।
सागौन पेड़ का पूरे भारत में उच्च मांग में है, और इसका उचित प्रबंधन किया जाए तो सरकारी खजाने को बड़ी आय हो सकती है। लेकिन वन विभाग की लापरवाही के कारण यह पेड़ बेकार हो रहा है। सिर्फ यही एक पेड़ नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में लगभग 200 से अधिक सागौन के पेड़ बिना देखरेख के सढ़ रहे हैं।

वन विभाग की उदासीनता
वन विभाग की अनदेखी के कारण इन कीमती पेड़ों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि इन पेड़ों को समय पर काटकर नीलाम किया जाता, तो इससे करोड़ों रुपये की आय हो सकती थी। लेकिन विभाग की निष्क्रियता के कारण ये पेड़ दीमक और खराब मौसम की चपेट में आकर नष्ट हो रहे हैं।

स्थानीय लोगों में नाराजगी
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार वन विभाग को इन पेड़ों के बारे में सूचित किया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। एक ग्रामीण ने बताया, “अगर इन पेड़ों का सही इस्तेमाल किया जाता, तो इससे न केवल सरकार को फायदा होता, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल सकता था। लेकिन विभाग की अनदेखी के कारण बहुमूल्य संसाधन नष्ट हो रहे हैं।”
क्या कहता है प्रशासन?
इस मामले में जब वन विभाग से संपर्क किया गया, तो अधिकारियों ने जवाब देने से बचने की कोशिश की। हालांकि, कुछ सूत्रों का कहना है कि विभाग के पास आवश्यक संसाधनों की कमी है, जिससे इन पेड़ों को संरक्षित या उपयोग में लाने में कठिनाई हो रही है।

सरकार को करनी होगी सख्त कार्रवाई
अगर समय रहते इन पेड़ों को काटकर लकड़ी का सही उपयोग किया जाए, तो इससे सरकारी खजाने में अच्छी-खासी रकम आ सकती है। सरकार को वन विभाग को सक्रिय करने और उचित नीतियों को लागू करने की जरूरत है, ताकि इन पेड़ों का सही इस्तेमाल हो सके और यह बहुमूल्य संपत्ति बर्बाद न हो।
यदि वन विभाग ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो क्षेत्र में और भी कई बहुमूल्य पेड़ इसी तरह नष्ट हो जाएंगे, जिससे देश को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।