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मंडल संयोजक और अधीक्षकों की लापरवाही से 15 दिनों बाद भी नहीं खुला आवासीय आश्रम, स्कूल वेंडे वर्राटू पंडुम योजना की उड़ा रहे धज्जियां। अंधकारमय मासूम छात्र छात्राओं का भविष्य

घनश्याम यादव

बीजापुर (बस्तर के माटी समाचार):-जिले के उसूर विकास खंड का गांव तर्रेम में 15 दिनों बाद भी आवासीय आश्रम स्कूल नहीं खुल पाया है जुलाई से आश्रम संचालित हो पा रहा है। तर्रेम के पूर्व जनपद सदस्य अवलम मनोज ने बताया कि  सत्र प्रारंभ हुये दो सप्ताह से ज्यादा होने जा रहा है लेकिन तर्रेम सहित धर्मापुर बालक आश्रम अब तक प्रारंभ नही किया गया। रविवार तक इन आश्रमों में ताला लगा हुआ पाया गया। इन दोनों आश्रमों में 75 बच्चों के लिए भवन व सभी सुविधाएं है। संवेदनशील  गांव तर्रेम जिसे बसाने व संवारने में शासन प्रशासन के नुमाइंदे रात दिन एक किया और शिक्षा की अलख जगाने की कोशिश की गई है, उसमें शिक्षा विभाग व आजाक विभाग के द्वारा अब तक आश्रम प्रारंभ न करना जिला से लेकर ब्लाक के अधिकारियों की लापरवाही दिख रही है।

नक्सल प्रभावित तर्रेम में धर्मापुर का आश्रम भी संचालित होता है। इन आश्रमों में दाखिला लिये नौनिहालों का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार बीजापुर जिले में स्कूल वेंडे वर्राटू पंडुम योजना का प्रचार प्रसार किया गया लेकिन सरकार की मंशानुरूप उसूर विकास खंड के बालक आश्रम अधीक्षक बीईओ, बीआरसी व मंडल संयोजक अपनी जिम्मेदारी से परे कुंडली मार बैठे है। इन अधिकारियों को आश्रम स्कूलों के संचालन के प्रति गंभीरता नजर नही आ रहा है। नया सत्र में ऐसी कौन मुसीबत आन पड़ी कि नक्सलगढ के बच्चे पढ़ाई से वंचित हो रहे। एक तरफ प्रशासन द्वारा बंद स्कूलों को खोलने का क्रम जारी है। ऐसे संचालित संस्थाओ द्वारा अब तक बच्चों को आश्रम तक न लाना अधीक्षक की बड़ी लापरवाही कही जा सकती है। पूर्व जनपद सदस्य मनोज अवलम ने बताया कि रविवार तक तर्रेम आश्रम में अधीक्षक सहित कोई भी स्टाफ भी मौजूद नही रहा। आश्रम में रविवार तक ताला लटका हुआ था। सोमवार  को बस्तर के माटी संपादक ने तर्रेम व धर्मापुर का जायजा लिया तो दोनों आश्रम में एक भी बच्चे नही थे

पर दोनों आश्रम के भृत्य पाये जो अपने काम व्यस्त थे। आश्रम में देखा तो बच्चों के सभी बेड खाली पड़े रहे। भृत्यों ने बताया कि अब तक आश्रम में कोई बच्चे नहीं आये है। तर्रेम में तीन भृत्य मिले तीनों ने बताया कि अभी तक आश्रम प्रारंभ नही हुआ।  दोनों अधीक्षक आश्रम से गायब मिले। भृत्यों में नागुल गोपाल, गुज्जा राम चापा व सीमा सोढ़ी से बात बताया गया कि आसपास के गांव के पिछले सत्र में रहते थे इस साल अभी तक नही आये है।  आश्रम की व्यवस्था के बारे बताया कि बिजली हमेशा बंद रहती है। बोर से पीने का पानी भी पीला निकलता है। किचन शेड भी जर्जर हालत में है। उसूर के मंडल संयोजक सारके से बंद आश्रम के संबंध में बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया

शैक्षणिक संस्थानों के प्रति शासन प्रशासन गंभीर, फिर भी मंडल संयोजक की घोर लापरवाही।


एक तरफ शासन व जिला प्रशासन शैक्षणिक संस्थानों में लापरवाही को कतई बर्दाश्त नहीं कर रहा है। प्रशासन के सख्त निर्देश के बाद भी मंडल संयोजक की लापरवाही उजागर हो रही है। ऐसे अधीक्षक जो अब तक बच्चों को स्कूल आश्रम तक ला नही पाये‌ है, प्रशासनिक अधिकारी क्या कार्यवाही करते है यह देखने वाली बात होगी। ब्लाक स्तर पर एक नही चार- चार निरीक्षणकर्ता बैठे है, लेकिन इनकी नौनिहालों की जिंदगी संवारने में दिलचस्पी नही‌ है।
क्या कहते हैं सहायक आयुक्त

आश्रम अधीक्षक और मंडल संयोजक की घोर लापरवाही से आश्रम शालाओं में 15 दिनों बाद भी छात्र छात्राओं का नहीं पहुंचने के संबंध में पूछे जाने पर सहायक आयुक्त डॉ आनंद सिंह ने कहा कि मंडल संयोजक से जानकारी लेकर संबंधित अधीक्षक पर कार्रवाई की जाएगी। आवश्यकता पड़ी तो संबंधित अधीक्षक को हटाया जाएगा

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