राजू तोले
सुकमा बस्तर के माटी समाचार कोंटा छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर में बसे सुकमा जिले के कोंटा में बारिश और गर्मी के बीच डेंगू तेजी से फैल रहा है। कोंटा में बीते एक महीने में ही 80 से ज्यादा मरीज मिले हैं जिसमें 38 का ईलाज कोंटा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में जारी है। वहीं कुछ का इलाज सीमांध्र और तेलंगाना के भद्राचलम में चल रहा है। इसके अलावा 45 से ज्यादा संदिग्धों के ब्लड सैंपल मेडिकल कॉलेज जगदलपुर में भेजे गए हैं। डेंगू के मरीज से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है। बस्तर का कोंटा ईलाका डेंगू के लिए हाई रिस्क जोन में डेंगू मच्छरों के लिए जाना जाता है। यहां हर साल बड़ी संख्या में डेंगू के मरीज मिलते हैं। बारिश के खत्म होते ही इलाके में होने वाली गर्मी से डेंगू के मच्छर तेजी से पनपने लगते हैं। यही कारण है कि कोंटा व आसपास के ईलाकों से बढ़ी संख्या में लोग डेंगू बीमारी का शिकार होते हैं। वर्तमान में कोंटा नगर में डेंगू बीमारी पैर पसार चुका है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के ओपीडी से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिदिन औसतन 200 से ज्यादा मरीज ईलाज के लिए पहुंच र रहे हैं जिसमें अधिकांश को डेंगू बीमारी की शिकायत है। महज अगस्त महीने में मिले डेंगू मरीजों के आंकड़े डराने वाले नजर आ रहे हैं। अब तक स्वास्थ्य केन्द्र में 80 से ज्यादा मरीज डेंगू के मिले हैं जिसमें पुष्ट 38 मरीजों का ईलाज स्वास्थ्य केंद्र में किया जा रहा हैं वहीं 45 के आसपास मरीज के ब्लड सैंपल जगदलपुर भेजे गए हैं। 30 बिस्तर अस्पताल में 50 से ज्यादा मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कोंटा 30 बिस्तरीय क्षमता वाला अस्पताल है जबकि वर्तमान में यहां 50 से ज्यादा मरीज एडमिट नहीं है। बेड की कमी के चलते एक-एक बेड में दो-दो मरीजों का इलाज किया जा रहा है। कोंटा ब्लॉक नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से यहां स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा है। जिसके चलते कोंटा मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर मरीजों का दबाव रहता है। ग्रामीणों की जरूरतों को देखते हुए लंबे समय से अस्पताल की क्षमता बढ़ाने की मांग की जा रही है। शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं 30 बिस्तरीय अस्पताल में पानी की व्यवस्था नहीं है। दूर दराज से आने वाले मरीज व परिजनों को पीने का पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। वहीं शौचालय में साफ- सफाई नहीं होने की वजह से भी लोग शौच के लिए बाहर जाते हैं। इलाके का बड़ा अस्पताल होने के बाद भी प्रशासन स्वास्थ्य केन्द्र में बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने की ओर गंभीर