घनश्याम यादव
बीजापुर बस्तर के माटी समाचार पत्र 26 अप्रैल 2024 छत्तीसगढ़ में फर्जी आदिवासी जाति प्रमाणपत्र बनाकर सरकारी नौकरियों और योजनाओं का लाभ उठाने वालों के खिलाफ कार्रवाई न होने से स्थानीय आदिवासी समाज में गहरा रोष है। शिव शंकर शाह मामले में सरकारी आदेश के बावजूद वन विभाग द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिसके विरोध में सर्व आदिवासी समाज ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
*फर्जीवाड़े पर सख्त कार्रवाई की मांग*
आदिवासी संगठनों का आरोप है कि गैर-आदिवासी लोग फर्जी दस्तावेज बनाकर अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा हड़प रहे हैं, जिससे मूल निवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है। शिव शंकर शाह का मामला इसका ज्वलंत उदाहरण है, जिसकी जांच में उसका जाति प्रमाणपत्र फर्जी पाया गया, लेकिन अब तक उसे बर्खास्त नहीं किया गया है।

*प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल*
आदिवासी नेता तलांडी ने बताया कि यह मामला लंबे समय से सहायक आयुक्त कार्यालय में लंबित है, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा, *”छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को दूसरे राज्यों में ST प्रमाणपत्र नहीं मिलता, फिर भी यहां बाहरी लोग फर्जी दस्तावेज बनाकर नौकरियां हड़प रहे हैं। यह सुनियोजित धोखाधड़ी है, और उच्चस्तरीय छानबीन समिति के सदस्य संदेह के घेरे में हैं।”*
*आदिवासी समाज ने दी चेतावनी*
सर्व आदिवासी समाज ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि प्रशासन पहले भी कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल चुका है। समाज के प्रतिनिधियों ने मांग की है कि:
1. **शिव शंकर शाह समेत सभी फर्जी ST प्रमाणपत्र धारकों को तुरंत बर्खास्त किया जाए।**
2. **जिला स्तरीय छानबीन समिति की जांच हो और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।**
3. **राज्यभर के सभी विभागों में ऐसे मामलों की शिनाख्त कर कड़ी सजा दी जाए।*
सरकार की चुप्पी पर बढ़ता असंतोष
आदिवासी समुदाय का आरोप है कि सरकारी तंत्र में कुछ लोग ऐसे फर्जीवाड़ेबाजों को संरक्षण दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।