अजीत यादव
रायपुर बस्तर के माटी समाचार रायपुर ब्यूरो फर्जी दिव्यांगों को सरकारी सेवा से बर्खास्त करने समेत छह सूत्रीय मांगों को लेकर दो दिनों से राजधानी में डटे दिव्यांगों ने राज्य शासन से चर्चा के बाद फिलहाल अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। समाज कल्याण विभाग के सचिव भुवनेश यादव से चर्चा के बाद आंदोलन कर रहे दिव्यांग सेवा संघ ने यह ऐलान किया। संघ के प्रतिनिधिमंडल को देर शाम विभागीय सचिव से चर्चा के लिए बुलाया गया। इस दौरान जल्दी ही इन मांगों पर निर्णय लेने का भरोसा दिलाया गया है। राज्य शासन से सकारात्मक चर्चा के बाद संघ अब फैसले का इंतजार करेगा।
राजधानी में बीते दो दिनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे दिव्यांगों को राज्य शासन ने कार्यवाही का आश्वासन दिया है। राज्य शासन से चर्चा के पहले तक वे मांगों को लेकर राजधानी में डटे हुए थे। विभागीय सचिव से चर्चा के बाद आंदोलनकारियों को कुछ राहत मिली है। दिव्यांग सेवा संघ के बैनर तले आंदोलन में प्रदेश भर से प्रतिनिधि शामिल हुए। संघ ने फर्जी दिव्यांगों को शासकीय सेवा से बर्खास्त करने की मांग प्रमुखता से उठाई है। वहीं प्रतिमाह पांच हजार
मांगे विचाराधीन : सचिव
दिव्यांग संघ की मांगें हमारी जानकारी में हैं। सभी मांगें विचाराधीन हैं, कुछ इस पर न कुछ कार्यवाही जरूर करेंगे।
- भुवनेश यादव, सचिव, समाज कल्याण विभाग
रुपए पेंशन देने के अलावा बीपीएल की बाध्यता खत्म करने का भी दबाव बनाया है। साथ ही दिव्यांग महिला और युवतियों को भी महतारी वंदन योजना में शामिल करने का दबाव बनाया है। इसके अलावा प्रमुख मांगों में दिव्यांग कर्मचारियों को पदोन्नति में 4 फीसदी आरक्षण देने की मांग भी की गई है। विभागीय सचिव से संघ के प्रतिनिधियों ने सभी मांगों पर सिलसिलेवार चर्चा की है। सचिव ने भी इन मांगों को सहानुभूतिपूर्वक सुनते हुए सकारात्मक निर्णय लेने का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा कि यह सभी मांगें शासन के ध्यान में हैं। इस पर कुछ न कुछ निर्णय जरूर लिया जाएगा। गौरतलब है कि दिव्यांग सेवा संघ ने इन मांगों को लेकर राजधानी में पैदल मार्च किया था। आंदोलन और पैदल मार्च के दौरान पुलिस की कार्यवाही से भी आक्रोश और भड़का था। हालांकि बाद में स्थिति संभाल ली गई।
फर्जी दिव्यांगों की लगातार शिकायतें
प्रदेश में मंत्रालय से लेकर मैदानी विभागों तक कई शासकीय कार्यालयों में फर्जी दिव्यांगों की लगातार शिकायतें होती रही हैं। हालांकि इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। राज्य शासन ने इस मामले में कोई संज्ञान तक नहीं लिया। दिव्यांगता का सहारा लेकर कई कर्मचारी बड़े पदों पर भी पहुंच गए हैं।