अमलीपदर से खरीपथरा तक करीब 10 .8 किलोमीटर लंबाई वाली प्रधानमंत्री सड़क के निर्माण में गंभीर गड़बड़ी का मामला सामने आया है। वर्ष 2021 में रायपुर स्थित में मेसर्स एम एस कंस्ट्रक्शन द्वारा लगभग ₹1.33 करोड़ की लागत से इस सड़क का निर्माण किया गया था। इस परियोजना के तहत 5 साल की मरम्मत गारंटी भी दी गई थी, जिसमें से ₹60 लाख का बजट 2021 से 2026 तक के मरम्मत कार्य के लिए स्वीकृत किया गया था। लेकिन, निर्माण के महज चार साल बाद ही इस सड़क की हालत बेहद खराब हो गई है, जिससे निर्माण की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

सड़क की वर्तमान स्थिति ने उठाए सवाल

करीब 10.8 किलोमीटर की इस प्रधानमंत्री सड़क में लगभग 1.7 किलोमीटर सीसी रोड है, जबकि बाकी 9.1 किलोमीटर सड़क डामरीकरण से बनी है। निर्माण के दौरान उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कई इंजीनियरों को तैनात किया गया था। निर्माण कार्य के तहत मुरूम, गिट्टी और डामर की निश्चित मात्रा का उपयोग करने की बात ठेकेदार ने अपने साइनबोर्ड पर भी दर्शाई थी।

नियम के अनुसार, मुरूम की 3981 घन मीटर मात्रा का उपयोग कर दो बार पानी डाल कर उसे रोलर से दो बार दबाया जाना था। इसके अलावा, 4730.47 वर्ग मीटर प्राइमर कोटिंग और 50 एमएम मोटाई की मिश्रित कारपेटिंग का प्रावधान किया गया था। साथ में निर्धारित मात्रा में गिट्टी , गिट्टी पाउडर और पत्थर का भी इस्तेमाल करना था ,लेकिन सड़क की हालत देखकर यह स्पष्ट हो रहा है कि निर्धारित सामग्री का उपयोग नहीं किया गया है।

सीसी रोड में गड्ढे और सरिया का निकलना गंभीर चिंता का विषय
सीसी रोड के एक किलोमीटर हिस्से पर कई जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जिससे वहां लगे सरिये तक बाहर आ गए हैं। इससे राहगीरों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। गड्ढे में नाली का पानी आ जाने के कारण वहां पर मच्छर का लारवा तक पनप रहा है जिससे ग्राम में मलेरिया व डेंगू फैलने का भी खतरा बन रहा है ।।ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण के दौरान गुणवत्ता से समझौता किया गया है, जिसके चलते सड़क महज चार साल में जर्जर हो गई है। आने जाने करते समय रोज किसी गड्ढे में लोग गिर रहे है । छोटे चक्का वाली का, इस रोड में आने पर गाड़ियों को भी नुकसान हो रहा है ।

भ्रष्टाचार के आरोप, जांच की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस सड़क के निर्माण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। निर्माण में उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता निम्न स्तर की रही है। एक किलोमीटर सड़क के निर्माण पर करीब
₹13.8 लाख खर्च होने का दावा किया गया है, लेकिन वर्तमान स्थिति से यह बिल्कुल असंभव लग रहा है।

ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से इस पूरे मामले की जांच की मांग की है। ग्रामीणों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि जल्द से जल्द मरम्मत का कार्य शुरू नहीं किया गया तो बड़े हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। ग्रामीणों की मांग है कि दोषी अधिकारियों और ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोबारा न हो।
प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की अपील

ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर जिला प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की अपील की है। गांव के मुख्य मार्ग से गुजरने वाली इस सड़क की दुर्दशा से ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यदि जल्द मरम्मत का कार्य नहीं किया गया तो यह सड़क दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है। ग्रामीणों ने सरकार से इस सड़क की गुणवत्तापूर्ण मरम्मत और निर्माण में हुई अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

” संबंधित ठेकेदार को लेटर इशू किया जाएगा और काम को रिपेयरिंग कर 15 दिन के भीतर फोटोग्राफ प्रस्तुत करने के लिए कहा जाएगा । हर 6 महीने में हमारे विभाग के द्वारा स्कोरिंग होता रहता है, अगर स्कोरिंग 100% होता है तो जो मेंटेनेंस के पैसा उनको दिया जाता है अन्यथा इस में से पैसा काटा जाता है ।”
SDO _PMSY अनिल चंद्राकर