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हनुमान जयंती पर गुढ़ियारी वाले बाबा का मना जन्मोत्सवराज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित गणमान्य नागरिकों ने टेका मत्था, भजन संध्या में उमड़ा जनसैलाब

अमृत सिंह

 रायपुर बस्तर के माटी समाचार राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी स्थित हनुमान मंदिर आज हनुमान जयंती के पावन अवसर पर भक्ति और आस्था के सागर में डूबा नजर आया। गुढ़ियारी वाले बाबा के भव्य जन्मोत्सव समारोह में प्रदेश के महामहिम राज्यपाल रामेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, रायपुर लोकसभा सांसद बृजमोहन अग्रवाल, छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अध्यक्ष रामप्रताप सिंह, पूर्व मंत्री व विधायक राजेश मूणत, विधायक मोतीलाल साहू, भाजपा प्रदेश मंत्री किशोर महानंद, पीठाधीश्वर महंत राजीव लोचन, बसंत अग्रवाल सहित अनेक गणमान्य नागरिकों और हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सभी ने मंदिर में पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की।

रायपुर पश्चिम के विधायक राजेश मूणत के नेतृत्व में हनुमान मंदिर परिसर में भव्य प्रसादी वितरण का आयोजन किया गया, जो पूरे दिन चला। यह आयोजन विगत 18 वर्षों से विधायक मूणत द्वारा निरंतर किया जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं।

दिन के आयोजन के बाद शाम को एक भव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया, जो विधायक राजेश मूणत के सानिध्य में वरिष्ठ समाजसेवक बसंत अग्रवाल के नेतृत्व में संपन्न हुआ। इस भक्तिमय संध्या में मुंबई के पंखिड़ा फेम प्रसिद्ध भजन गायक पंडित राजेश मिश्रा ने अपनी सुरमयी आवाज से श्रद्धालुओं को भक्ति रस में सराबोर कर दिया। उनके मधुर भजनों को सुनकर उपस्थित जनसैलाब भावविभोर हो गया।

इस भव्य भजन संध्या में रायपुर लोकसभा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने विशेष रूप से शिरकत करते हुए भजन गायक पंडित राजेश मिश्रा, दक्षिण कौशल पीठाधीश्वर महंत राजीव दास लोचन और वरिष्ठजनों का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि बसंत अग्रवाल जी लगातार धार्मिक आयोजनों की एक महत्वपूर्ण कड़ी बने हुए हैं, जिन्होंने पूर्व में बागेश्वर धाम और पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथाओं के साथ-साथ दही हांडी लूट जैसे बड़े आयोजनों को सफलतापूर्वक संपन्न कराया है। आज हनुमान जयंती के इस भव्य भजन संध्या का आयोजन भी उनकी धार्मिक निष्ठा का परिचायक है।

बृजमोहन अग्रवाल ने वर्तमान व्यस्त जीवनशैली पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज लोगों के पास ईश्वर का नाम लेने की भी फुर्सत नहीं है। युवा मोबाइल और लैपटॉप में व्यस्त हैं, वहीं माताएं-बहनें टीवी सीरियलों में खोई रहती हैं। ऐसे समय में पंडित राजेश मिश्रा जैसे भजन गायकों और कथाओं के माध्यम से ही भगवान का नाम लोगों तक पहुंच पाता है। उन्होंने हनुमान चालीसा के महत्व को बताते हुए कहा कि यह हर संकट को दूर करने की शक्ति रखता है और सभी को अपने बच्चों को बचपन से ही इसका पाठ सिखाना चाहिए, जिससे उनकी बुद्धि हनुमान जी के समान तेज हो सके।

कार्यक्रम में रायपुर ग्रामीण के विधायक मोतीलाल साहू ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और इस भव्य आयोजन के लिए बसंत अग्रवाल की सराहना की। उन्होंने कहा कि अग्रवाल जी निरंतर धार्मिक आयोजनों के माध्यम से समाज को एकजुट करने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अध्यक्ष रामप्रताप सिंह ने भी बसंत अग्रवाल के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इतने बड़े स्तर पर इस पावन अवसर का आयोजन उनकी गहरी आस्था और समर्पण का प्रतीक है।

दक्षिण कौशल पीठाधीश्वर महंत राजीव दास लोचन ने अपने आशीर्वचन में बसंत अग्रवाल को “छत्तीसगढ़ का धर्मवीर” बताते हुए उनके धार्मिक कार्यों की सराहना की। उन्होंने दही हांडी उत्सव का उल्लेख करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और अन्य वरिष्ठजनों की उपस्थिति में उन्हें यह उपाधि प्रदान की गई थी, जो उनके कर्म और धर्म के प्रति समर्पण का सम्मान है। उन्होंने कहा कि बसंत अग्रवाल द्वारा आयोजित सभी धार्मिक आयोजन उच्च कोटि के होते हैं और वे समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

कार्यक्रम के आयोजक वरिष्ठ समाजसेवक बसंत अग्रवाल ने उपस्थित सभी संतजनों, वरिष्ठ नागरिकों और श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोजन हमारी संस्कृति, आस्था और सेवा का प्रतीक है और सभी के सहयोग से यह हर वर्ष और अधिक भव्यता के साथ मनाया जाएगा।

इस अवसर पर भाजपा प्रदेश मंत्री किशोर महानंद, आजाद गुर्जर, सोन टके, हेमेंद्र साहू, शंकर बरुआ, संजय मित्तल, समिति से सत्यनारायण स्वामी, निवेश शर्मा, श्यामू तिवारी, दीपक अग्रवाल, सोनू मिश्रा, राजा साहू, सुरेश अन्ना, संजय अग्रवाल, अजय अग्रवाल, प्रहलाद अग्रवाल,अभिषेक अग्रवाल, विजय शर्मा, राहुल गुप्ता, लक्की ठाकुर सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक और श्रद्धालु उपस्थित रहे। यह भव्य आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बना, बल्कि गुढ़ियारी क्षेत्र में सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव का भी प्रतीक साबित हुआ।

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