भैंसमुड़ी (मैनपुर):
जहां एक ओर सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत हज़ारों घरों का निर्माण कर “हर गरीब को पक्का मकान” देने का सपना दिखा रही है, वहीं दूसरी ओर मैनपुर ब्लॉक के भैंसमुड़ी ग्राम पंचायत के दर्लिपारा की तिले सोरी आज भी उस सपने को पूरा होने की राह तक रही है।

तिले सोरी का परिवार आज भी एक झुग्गी झोपड़ी में रहने को मजबूर है। टपकती छत, दीवारों से रिसता पानी और चारों ओर असुरक्षा—यह उनके जीवन की सच्चाई है। तिले का परिवार न तो किसी सरकारी योजना में नामित है और न ही अब तक उन्हें कोई आवास मिला है।
सरकार की घोषणाएं और योजनाएं तो बहुत हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
“कई बार आवेदन किया, जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई, लेकिन हर बार आश्वासन मिला, मकान नहीं।” — तिले सोरी की भर्राई आवाज़ सरकार के तमाम वादों पर सवाल खड़े करती है।
नेताओं के लिए झोपड़ियों में जाकर फोटो खिंचवाना अब एक नया प्रचार का तरीका बन गया है। लेकिन उस तस्वीर के पीछे का दर्द, वह झोपड़ी, उसमें रहने वाले लोग—कहीं न कहीं सरकार की नज़र से ओझल हो जाते हैं।

तिले जैसे सैकड़ों पात्र लोग हैं जो आज भी एक पक्के मकान के इंतज़ार में हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने यह दावा किया था कि हर बेघर को घर मिलेगा, लेकिन तिले सोरी के दुआर आज भी तरस रहा है उस नेता के साथ फोटो खींचने का और सरकार के दस्तक का इंतजार और उस शब्द को हकीकत बनते देखने का सपना संजोए हैं_ “मोर दुआर साय सरकार”
अब सवाल यह है:
क्या तिले सोरी को भी मिलेगा वो “प्रधानमंत्री आवास” जो हर गरीब का हक बताया जाता है?

या फिर यह भी एक और तस्वीर बनकर सोशल मीडिया की भीड़ में खो जाएगी?