राजू तोले
सुकमा बस्तर के माटी समाचार, 24 जुलाई 2024/ जिले में कृषक भाईयों खरीफ फसलों की तैयारी कर रहें है। वहीं कुछ कृषक अपने खेतों में मक्के की बुआई कर चुके हैं। बारिस के मौसम के कारण मक्के के फसलों में लगे फॉल आर्मी वार्म की चिंता किसानों को सताने लगी है। फसलों में लगे इस कीट से निजात पाने के लिए कृषक मित्रों ने इसकी सूचना कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि विशेषज्ञों को दी। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिको द्वारा सुकमा विकासखंड. के ग्राम – मुरतोण्डा, रामपुरम, मुयापारा, पेरमापारा, सोनाकुकानार का मैदानी भम्रण के दौरान मक्का के खेतो का सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण के दौरान पाया गया कि फॉल आर्मी वार्म कीट की इल्ली का आक्रमण सर्वाधिक था। कृषि विज्ञान केन्द्र के पौध रोग विज्ञान विशेषज्ञ श्री राजेन्द्र प्रसाद कश्यप, कीट विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. योगेश कुमार सिदार, चिराग परियोजना के एस. आर. एफ. यामलेश्वर भोयर व इंद्रपाल साहू ने किसानों को क्षतिग्रस्त फसलों में कीट के लक्षण की पहचान बताते हुए कहा कि फॉल आर्मी वार्म मुख्य रूप से अमेरिका में मक्का व अन्य फसलों पर पाया जाने वाला कीट है, जिसका वैज्ञानिक नाम स्पोडोप्टेरा फ्रुजीपरडा है, जो कि लेपिडोप्टेरा गण में नोक्टुइडे़ परिवार का कीट है। उन्होंने बताया कि मक्के में 25-30 दिन की अवस्था इस कीट का आक्रमण दिखाई देता है। वहीं 30-45 दिन की अवस्था मे इस कीट का अधिक प्रकोप दिखाई देता है। इसकी छः अवस्थाएं होती है। इसके इल्ली के सिर पर वाय आकार का सफेद चिन्ह एवं शरीर पर काले धब्बे होते हैं। ऊपर के 8 वें खंड पर चार काले रंग के धब्बे वर्ग के रूप में होते हैं। विशेषज्ञों ने इस कीट का प्रकोप का प्रबंधन किसानों को बताते हुए कहा कि बीज बुआई से पहले बीजों को रासायनिक कीटनाशक साइट्रानिलिप्रोल 19.8 प्रतिशत एवम् थियामेथोक्साम 19.8 प्रतिशत एफ एस का 6 मिली. प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करने से अंकुरण के 20-25 दिन तक पौधे को इस कीट से बचाया जा सकता है।
सर्वेक्षण में ये भी पाया गया कि किसान बिना किसी कृषि विशेषज्ञ की सलाह से ही कीटनाशक का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे है। उन्हे सलाह दी गई कि किसान कृषि विशेषज्ञ की सलाह से ही कीटनाशक का प्रयोग करे। इल्ली के प्रभावी नियंत्रण के लिए कीटनाशक दवा का पौधे के गोभ में जाना आवश्यक है, क्योंकि इल्ली गोभ में छुपकर खाती है। अतः संक्रमण अधिक होने पर निम्नलिखित रासायनिक कीटनाशको का छिड़काव करना चाहिए -क्लोरेट्रांनिलिप्रोएल 18.5 एस. सी., 0.4 मिली प्रति लीटर पानी या स्पिाईनटोरम 11.7 प्रतिशत एस. सी. 0.5 मिली प्रति लीटर पानी या इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रतिशत एस जी 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी़ की सिफारिश की जाती है। वहीं मक्का की बाली आने की अवस्था में रासायनिक कीटनाशकों को बदल-बदल कर छिड़काव करने से फॉल आर्मी वार्म कीट प्रकोप का नियंत्रण किया जा सकता है।