सत्यानंद यादव
कोण्डागांव बस्तर के माटी समाचार, 12 अक्टूबर 2024 बस्तर का ऐतिहासिक दशहरा पर्व, जो आदिवासी परंपरा और आस्था का प्रतीक है जिसमें हर वर्ष जिले भर से देवी-देवताओं, मांझी-मुखिया, चालकी, गायता और पुजारियों के साथ सैकड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस परंपरा को और भव्य बनाने के उद्देश्य से जिले के सभी ग्राम देवी-देवताओं को एकत्रित कर बस्तर के लिए रवाना करने की परंपरा कोण्डागांव में वर्ष 2016 से शुरू हुई थी। इस साल भी उसी परंपरा का निर्वहन करते हुए, विधायक सुश्री लता उसेंडी ने श्रद्धा और उत्साह के साथ जिले भर से आए ग्राम देवी-देवताओं को शनिवार को चौपाटी से जगदलपुर के लिए रवाना किया।
बस्तर दशहरा की यह परंपरा सदियों पुरानी है, जिसमें बस्तर अंचल के देवी-देवता अपने पुजारियों और ग्राम प्रतिनिधियों के साथ शामिल होते हैं। दशहरा के दौरान देवी-देवताओं की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जिसे देखने और उसमें भाग लेने के लिए सैकड़ों लोग जुटते हैं। पहले जिले के विभिन्न परगनाओं के देवी-देवता अलग-अलग स्थानों से बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए जाते थे। परंतु 2016 में, उस समय के कोंडागांव कलेक्टर और वर्तमान केशकाल विधायक नीलकंठ टेकाम द्वारा पहल की गई कि सभी देवी-देवताओं को एक स्थान पर एकत्रित किया जाए, जिससे उनके आगमन को अधिक संगठित और प्रभावी बनाया जा सके। इसके तहत जिला प्रशासन ने कोण्डागांव को एक केंद्रीकृत स्थान के रूप में चुना और यहां से सभी देवी-देवताओं को एक साथ रवाना करने की परंपरा शुरू हुई।
इस परंपरा के तहत इस वर्ष भी कोण्डागांव जिले के विभिन्न ग्रामों से देवी-देवताओं को यहां एकत्रित कर विशेष अनुष्ठान के बाद उन्हें रवाना किया गया।
इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमती भगती पटेल, आदिम जाति कल्याण विभाग से डॉ. रेशमा खान, कोंडागांव तहसीलदार और अन्य अधिकारी कर्मचारियों के साथ गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।