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उरमाल सरकारी अस्पताल बना मातृत्व सुरक्षा की मिसाल

  राजीव लोचन पंडा

उरमाल गरियाबंद बस्तर के माटी समाचार लोगों के मन में सरकारी अस्पताल का नाम लेते ही एक अलग तरह के खयाल पैदा होता है । साफ सफाई का वत इंतजामि से लेकर वहां का व्यवस्था तक , हर जगह व आदमी के जुबान पर रहता है , इसीलिए लोग हमेशा प्राइवेट अस्पताल की रुख करते हैं । लेकिन जिले के मैनपुर ब्लॉक के उरमाल का सरकारी अस्पताल, जो पहले संसाधनों की कमी और जर्जर भवन के लिए जाना जाता था, आज सुरक्षित प्रसव के मामले में पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा बन गया है। पिछले महीने अस्पताल में रिकॉर्ड 102 सुरक्षित प्रसव हुए, और आज रिपोर्ट बनाए जाते तक 6 सुरक्षित प्रसव हो चुका है , जो स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं की एक बड़ी उपलब्धि है और सरकार का सुविधाओं के तरफ लोगों का एक विश्वास भारा नजरिया का एक जीता जागता उदाहरण है ।

कुछ समय पहले तक, उरमाल और आसपास के ग्रामीणों को प्रसव के लिए ओडिशा या देवभोग का रुख करना पड़ता था। लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है। यहां के स्वास्थ्य कर्मियों और ग्रामीण चिकित्सा सहायक, डॉ. कुंभकार के समर्पण ने इस बदलाव को संभव बनाया है।

अस्पताल का स्टाफ सिर्फ इलाज ही नहीं करता, बल्कि प्रसव के बाद मां और बच्चे को उपहार भी देता है, ताकि उनकी खुशी बढ़ाई जा सके। यह प्रयास अन्य ग्रामीणों को सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर भरोसा करने के लिए प्रेरित कर रहा है।

अस्पताल के उत्कृष्ट कार्य को देखकर दिल्ली से आई एक जांच टीम ने भी इसकी सराहना की। बीएमओ और सीएमओ ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया है। संपन्न परिवार भी अब प्रसव के लिए उरमाल अस्पताल का रुख कर रहे हैं, जो सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते भरोसे का प्रतीक है।

हालांकि, अस्पताल भवन और स्टाफ की कमी अभी भी एक चुनौती है। यदि इन समस्याओं को दूर किया जाए, तो यह अस्पताल क्षेत्र के सभी वर्गों के लिए आदर्श बन सकता है। सरकारी योजनाओं और 102 एंबुलेंस सेवा का लाभ उठाते हुए, उरमाल अस्पताल मातृत्व सुरक्षा की नई मिसाल कायम कर रहा है।

सरकार के प्रयासों और उरमाल स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों के समर्पण से यह साबित हो गया है कि सीमित संसाधनों में भी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। उम्मीद है, इस दिशा में और सुधार किए जाएंगे।

यह थी उरमाल सरकारी अस्पताल की कहानी, जो दिखाती है कि सही दिशा और समर्पण से बदलाव संभव है।

उरमाल की यह कहानी उन स्टाफ की त्याग और कर्म के प्रति ईमानदारी की गवाह है व हर सरकारी अस्पताल के लिए प्रेरणा है।

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