ग्राम पंचायत इंदा गांव—सरकार की योजनाओं के तहत बच्चों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला में करीब ₹1,55,000 की लागत से एक RO वॉटर फिल्टर मशीन लगाई गई थी। लेकिन अब यह मशीन सुविधा देने के बजाय जानलेवा साबित हो रही है। स्कूल के छात्रों का कहना है कि जब भी वे गिलास लेकर पानी निकालने जाते हैं, तो पानी के बजाय बिजली का झटका मिलता है।
बंद मशीन, टूटी पाइपलाइन और धातुयुक्त पानी

लगभग एक साल पहले पंचायत द्वारा लगाई गई इस RO मशीन ने शुरू में ठीक से काम किया, लेकिन कुछ महीनों बाद टंकी से मशीन तक पानी सप्लाई करने वाली पाइपलाइन टूट गई। इससे मशीन तक पानी पहुंचना बंद हो गया, और अब यह बेकार पड़ी है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को मजबूरन वही फ्लोराइड और धातुयुक्त पानी पीना पड़ रहा है, जिसे रोकने के लिए यह मशीन लगाई गई थी।

दिव्यांग बच्चों के लिए बना शौचालय भी अधूरा

इसी स्कूल में दिव्यांग बच्चों के लिए ₹1,03,000 की लागत से एक विशेष बाथरूम बनवाया जा रहा था, लेकिन वह भी अब तक अधूरा पड़ा है। पंचायत सचिव परमेश्वर सेठी के अनुसार, अभी ₹53,000 की आखिरी किस्त मिलनी बाकी है, जिसके कारण काम पूरा नहीं हो सका है। आर.ओ.फिल्टर मशीन का कीमत 70000 है ।

हमने पड़ताल की तो उसका व्यय 1,55, 000 दिखाया गया वहीं बाथरूम का बेसिन फिटिंग और टाइल्स लगाने का काम भी अधूरा पड़ा है, जिससे यह बाथरूम अब तक उपयोग में नहीं आ पाया है।

सरकार की योजनाएं धरातल पर क्यों हो रही फेल?

एक तरफ सरकार स्वच्छ भारत मिशन और अच्छे बुनियादी ढांचे की बात कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। स्कूल में RO मशीन और दिव्यांग बच्चों के शौचालय जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स अधूरे पड़े हैं। सवाल यह उठता है कि क्या इन योजनाओं का पैसा सही जगह खर्च हो रहा है या सिर्फ बंदरबांट हो रही है? जब हमने इस विषय पर पालक त्रिलोचन ओटी ,मायाराम यादव ,परशुराम नागेश और कुछ ग्रामीणों से चर्चा की तो उनका कहना यह है कि जल्द से जल्द इस मशीन को सुधारा जाए और बाथरूम को यथा शीघ्र पूर्ण किएजाने के मांग किए।

क्या कोई अपने घर में ₹1,55,000 की RO मशीन लगाता है? जांच का विषय है। सोचिएगा जरूर!