बस्तर के माटी न्यूज़ (BKM)अमलीपदर, गरियाबंद

मैंनपुर ब्लॉक के इंदागांव ग्राम पंचायत की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। वार्ड क्रमांक 6 के कोयला भट्टी पारा में स्थित एकमात्र नलकूप से पिछले तीन दिनों से सफेद चुना युक्त और बदबूदार पानी निकल रहा है, जिसे मजबूरी में सैकड़ों ग्रामीण पीने को विवश हैं। पानी की इस गंभीर समस्या ने लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा खड़ा कर दिया है, लेकिन प्रशासन अब तक चुप्पी साधे हुए है।


भूंजिया पारा और दांतापारा की स्थिति और भी चिंताजनक है। भूंजिया पारा में कोई नलकूप नहीं है, जिससे जल संकट अपने चरम पर है। दांतापारा के लोग आज भी गंदे कुएं का पानी पी रहे हैं। इंदागांव के विभिन्न मोहल्लों में नल-जल योजना के तहत बनाई गई टंकियां खुद गंदगी की मिसाल बन गई हैं। टंकियों में कीचड़, प्लास्टिक, शराब की बोतलें और अन्य अपशिष्ट भरे पड़े हैं। ग्रामीणों का कहना है कि टंकी से निकलने वाला पानी बदबूदार और अशुद्ध होता है, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है।

ग्रामीण बोले – सिर्फ कागजों पर चल रही है योजना
स्थानीय निवासियों ने बताया कि नल-जल योजना केवल कागजों पर दिखाई देती है। न तो नल कनेक्शन दिए गए हैं और न ही पाइपलाइन बिछाई गई है। वार्ड क्रमांक 3 और 7 में नलकूप खनन का वादा भी अभी अधूरा है। वर्षों से मूलभूत सुविधा की मांग कर रहे ग्रामीण अब निराश हो चुके हैं।

आत्महत्या की घटनाएं फिर से बढ़ी, तनाव का माहौल
इंदागांव में मानसिक तनाव का स्तर इस कदर बढ़ गया है कि पिछले पखवाड़े में 16 आत्महत्या की कोशिशों और 3 मौतों ने पूरे जिले को चौंका दिया था। हाल ही में 30 तारीख को एक युवक ने जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की, जिसे समय रहते देभोग अस्पताल पहुंचाया गया। लगातार घटनाओं ने गांव में चिंता और भय का माहौल पैदा कर दिया है।
इलाज, बैंक और सुविधा के लिए देभोग और मैनपुर पर निर्भरता

इलाज, बैंकिंग, और अन्य बुनियादी सेवाओं के लिए आज भी इंदागांव के लोगों को देभोग या मैनपुर जैसे दूर के कस्बों का रुख करना पड़ता है। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी – हर मोर्चे पर गांव उपेक्षा का शिकार है।

ग्रामीणों की प्रशासन से मांग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि नल-जल योजना को शीघ्र प्रभाव से क्रियान्वित किया जाए, दूषित जल की आपूर्ति रोकी जाए और प्रत्येक वार्ड में स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। यदि समस्या का समाधान शीघ्र नहीं किया गया, तो जनाक्रोश और संकट और भी गहरा हो सकता है।