बस्तर के माटी (BKM) ,गरियाबंद
रिपोर्टर _ राजीव लोचन
अमली गांव का मनसाय नेताम बना युवा किसानों की प्रेरणा
जहां एक ओर आज के युवा सोशल मीडिया और यूट्यूब को समय की बर्बादी मानते हैं, वहीं छत्तीसगढ़ के सुदूर और दुर्गम इलाके के युवा किसान मनसाय नेताम ने यूट्यूब को अपना मार्गदर्शक बना कर अपनी और अपने परिवार की जिंदगी को बदल डाला। घने जंगलों और सीमित संसाधनों के बीच रहते हुए भी उन्होंने ड्रिप इरिगेशन तकनीक से 4 एकड़ भूमि में खीरे की सफल खेती कर यह साबित कर दिया कि “अगर कुछ करने की ठान लो तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते हैं।”

मैनपुर के अमली गांव, जो कि इंदा ग्राम पंचायत के वार्ड नंबर 18 में आता है, चारों तरफ से नदी और घने पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इस गांव तक पहुंचने के लिए करीब 18 किलोमीटर का रास्ता उड़ीसा से घूमकर तय करना पड़ता है। स्थायी बिजली और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के बावजूद मनसाय नेताम ने सौर ऊर्जा और ऑनलाइन सीखी गई तकनीकों के सहारे खेती को न सिर्फ शुरू किया, बल्कि उसे लाभदायक भी बनाया।

यूट्यूब से ड्रिप सिंचाई प्रणाली का प्रशिक्षण लेकर उन्होंने पास के नाले से पानी लाकर कम पानी में अधिक उत्पादन की राह चुनी। शुरुआत में केवल एक महीने में दो बार खीरे की उपज को रायपुर और राजीम मंडी में बेच कर मुनाफा कमा चुके हैं।


सबसे बड़ी चुनौती थी – जंगली जानवरों से फसल की सुरक्षा। इसके लिए भी यूट्यूब से सीखी गई तकनीक का उपयोग करते हुए उन्होंने बैटरी चालित करंट मशीन से खेत के चारों ओर तारबंदी की। दिन में सोलर पैनल से बैटरी चार्ज होती है, और रात में खेत की रखवाली खुद यह तकनीक करती है।


मनसाय नेताम अकेले नहीं बढ़े, उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों और भतीजे को भी इस काम में जोड़ा और आसपास के ग्रामीणों को भी प्रेरित किया। यदि उन्हें सरकारी सहायता और मार्गदर्शन मिल पाता तो निश्चित रूप से वह और भी बड़ी मिसाल कायम कर सकते थे।

आज जब कई युवा यह सोच कर पीछे हट जाते हैं कि “हमारे पास जमीन नहीं है”, “पानी नहीं है”, “सुविधा नहीं है”, उस माहौल में मनसाय नेताम जैसे युवक यह दिखाते हैं कि संकल्प, जानकारी और मेहनत से हर बाधा पार की जा सकती है।

अमली गांव का यह उदाहरण बताता है कि तकनीक और नई सोच से देश का हर गांव आत्मनिर्भर बन सकता है – बस जरूरत है हौसले की ।
