बस्तर के माटी न्यूज़ (BKM), गरियाबंद

अमलीपदर, — प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत वर्ष 2021 में एक करोड़ 33 लाख 88 हजार रुपये की लागत से बनी अमलीपदर से खरीपथरा तक की 10.8 किलोमीटर लंबी सड़क आज बदहाली का प्रतीक बन चुकी है। एमएस कंस्ट्रक्शन, रायपुर द्वारा बनाई गई इस सड़क की गारंटी अवधि अक्टूबर 2026 तक है, बावजूद इसके सड़क की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। सबसे ताजूब वाली बात यह है कि सरकार व विभाग के तरफ से अगर गुणवत्ता के सही जांच किया जाता है और उसे उच्च मानक का सर्टिफिकेट भी दिया जाता है तो वो सड़क बार-बार उखड़ते है क्यों ? कई बार यह देखा गया है की सड़क को सरकार को सोपने के पहले ही रिपेयरिंग का काम चालू हो जाता है । इसके पीछे का मानसिकता आखिर ठेकेदार क्या है अभी भी समझ से परे है । जिसका सटीक उदाहरण है अमलीपदर से देभोग जाने वाले सड़क का ।जो सड़क पूरी तरह से इधर बना हीं नहीं और इसमें रिपेयरिंग का काम चालू हो गया ।

स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि मीडिया द्वारा मामला उजागर किए जाने के बाद भी ठेकेदार ने अमलीपदर से खरीपथरा की और महज आधा किलोमीटर तक ही मरम्मत कार्य किया और शेष सड़क को नजरअंदाज कर दिया गया। सड़क के किनारों पर बने 2 से ढाई फीट गहरे गड्ढे आए दिन दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं।


नालियों का बंद रास्ता बना समस्या की जड़
शिशु मंदिर के समीप नाली का प्रवाह भूमि मालिक द्वारा बंद कर दिए जाने से गंदा पानी सड़क पर बह रहा है। वहां पर मौजूद कचरा और गंदगी भरा पानी से सड़क पर कीचड़ और बदबू का अंबार लग गया है, जो राहगीरों और वाहन चालकों दोनों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। मुख्य सड़क के ब्राह्मण पारा, हनुमान मंदिर और गांव के प्रवेश द्वार के पास गंदगी और नाली का पानी जमा हो गया है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो गया है।

अतिक्रमण और अधूरी परियोजनाएं बनीं बाधा
सड़क के दोनों ओर हो रहे अतिक्रमण और घर के आगे वाहन पार्किंग ने ट्रैफिक जाम को आम बना दिया है। प्रशासन को कई बार शिकायतें भेजी गईं, परंतु अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। इसके साथ ही डेढ़ किलोमीटर लंबी अधूरी सड़क और सुखा तेल नदी पर अधूरा पुल – जिसके लिए 7.3 करोड़ रुपये की स्वीकृति थी – वर्षों से निर्माण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ठेकेदार के ब्लैकलिस्ट हो जाने के बाद से काम पूरी तरह ठप है। भाभी सर पर है फिर भी सरकार को क्षेत्र का इस प्रमुख समस्या का खयाल नहीं है । वैकल्पिक मार्ग के हिसाब से भेजीपदर से गोहरा पदर तक जाने वाली प्रधान मंत्री की सड़क 2 किलोमीटर अति जर्जर है । बारिश के दिनों इस पर छोटे चार पहिया बाहन चलाना कीसी बड़े चुनौती से कम नहीं है । अगर इस सड़क का भी मरम्मत सरकार के द्वारा कर लिया जाता तो थोड़ी बहुत राहत बारिश के दिनों में राहगीरों को जरूर होता ।


समस्या समाधान शिविर से जागी उम्मीद
स्थानीय जनता अब 6 मई को आयोजित होने वाले समस्या समाधान शिविर से राहत की उम्मीद कर रही है। क्षेत्रवासी चाहते हैं कि सड़क, पुल, बिजली और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का हल इस शिविर में निकले। यदि प्रशासन गंभीरता से इन मुद्दों पर कार्रवाई करता है, तो यह पूरे क्षेत्र के लिए बड़ी राहत होगी।
जनता की अपील
जनता ने प्रशासन और सरकार से अपील की है कि वे इस बार उनकी समस्याओं को गंभीरता से लें और स्थायी समाधान करें। यदि समस्याओं का समाधान होता है, तो क्षेत्रवासी सरकार का आभार प्रकट करेंगे।

