RNI NO. CHHHIN /2021 /85302
RNI NO. CHHHIN /2021 /85302

दवनकरा समिति प्रबंधक पर 63 लाख के धान घोटाले का आरोप, अब तक FIR दर्ज नहीं,जिले की सबसे बड़ी अनियमितता पर प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

 अजीत यादव

प्रतापपुर बस्तर के माटी समाचार सूरजपुर जिले के प्रतापपुर विकासखंड में दवनकरा धान खरीदी केंद्र एक बार फिर सुर्खियों में है। 63 लाख रुपये के धान घोटाले के मामले में जहां समिति प्रबंधक के ऊपर गंभीर आरोप सिद्ध हो चुके हैं, वहीं कार्रवाई केवल निलंबन और दूसरी समिति में अटैचमेंट तक सीमित रह गई है। प्रशासन द्वारा अब तक एफआईआर दर्ज न करना और बर्खास्तगी की कार्रवाई न करना, न केवल पीड़ित किसानों की उम्मीदों को ठेस पहुंचा रहा है, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहा है।

इतना बड़ा घोटाला, फिर भी केवल निलंबन! जबकि संविदा के पद पर यह नियुक्ति होती है तो निलंबन कैसा,

दवनकरा धान खरीदी केंद्र में 2032.40 क्विंटल धान गायब होने का मामला सामने आया था, जिसकी कुल कीमत लगभग 63 लाख रुपये आंकी गई है। यह मामला उजागर होने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि समिति प्रबंधक के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, लेकिन उसे केवल निलंबित कर चंद्रमेढ़ा समिति केंद्र में अटैच कर दिया गया। यह कार्रवाई महज खानापूर्ति लगती है, क्योंकि न तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और न ही बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू हुई।

पीड़ितों की उम्मीदों को ठेस

इस घोटाले से प्रभावित सैकड़ों किसानों ने शिकायत दर्ज कराई थी और दोषी प्रबंधक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन प्रशासन की उदासीनता ने उनकी उम्मीदों को झटका दिया। किसानों का कहना है कि समिति प्रबंधक को बर्खास्त कर जेल भेजा जाना चाहिए था, लेकिन वह खुलेआम घूम रहा है। पीड़ित किसानों ने इसे प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का उदाहरण बताते हुए गहरी नाराजगी व्यक्त की है।

डाटा कंप्यूटर ऑपरेटर की संदिग्ध भूमिका

इस घोटाले में डाटा कंप्यूटर ऑपरेटर की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। बिना नोडल अधिकारी, समिति प्रबंधक, और डाटा ऑपरेटर की मिलीभगत के इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं हो सकता। इसके बावजूद, प्रशासन ने अभी तक डाटा ऑपरेटर के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। न तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और न ही उसे निलंबित किया गया है। यह सवाल खड़े करता है कि क्या प्रशासन भ्रष्टाचारियों को बचाने में लगा हुआ है?

शासन-प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इतना बड़ा घोटाला उजागर होने के बावजूद भी समिति प्रबंधक पर केवल हल्की कार्रवाई की गई, जिससे यह प्रतीत होता है कि घोटाले में उच्च अधिकारियों की संलिप्तता हो सकती है।

प्रमुख सवाल:

समिति प्रबंधक को बर्खास्त क्यों नहीं किया गया ?

एफआईआर दर्ज करने में इतनी देरी क्यों हो रही है ?

डाटा ऑपरेटर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अबतक कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

क्या मोटी रकम की लेन-देन से घोटालेबाज बच रहे हैं?

किसानों की नाराजगी और प्रशासन पर सवालिया निशान

किसानों और ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की मौन स्वीकृति ने न्याय को कमजोर कर दिया है। घोटाले में दोषी पाए गए प्रबंधक को अब तक सजा न मिलना, प्रशासन की गंभीरता पर सवाल खड़ा करता है। किसानों का यह भी कहना है कि यदि 15 दिनों के भीतर कार्रवाई नहीं हुई तो वे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।

भ्रष्टाचार को उजागर करना आवश्यक

तमाम प्रयासों और शिकायतों के बावजूद, प्रशासन की निष्क्रियता ने यह साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश हो रही है। यह घोटाला सिर्फ एक वित्तीय अपराध नहीं है, बल्कि यह किसानों के हक पर डाका डालने जैसा है।

समिति प्रबंधक को तत्काल बर्खास्त करें: किसानों की मांग

दोषी प्रबंधक पर एफआईआर दर्ज की जाए।

उसे तत्काल बर्खास्त किया जाए।

डाटा ऑपरेटर और अन्य संदिग्ध अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो।

घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित की जाए।

प्रशासन की छवि हो रही धूमिल

इस मामले में निष्क्रियता से प्रशासन की साख पर बट्टा लग रहा है। यह मामला न केवल किसानों का है, बल्कि पूरे जिले की ईमानदारी और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़ा करता है।

अब देखना यह है कि प्रशासन अपनी निष्क्रियता से जागकर इस मामले में कब तक कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह दफन हो जाएगा।

इस विषय में एसडीएम ललिता भगत ने कहा कि मामले की जांच कर कलेक्टर सूरजपुर को प्रतिवेदन भेज दिया गया है तथा उप पंजीयक जिला मंडी सूरजपुर को कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। इस विषय में कलेक्टर सूरजपुर को फिर से अवगत कराती हूं

Facebook
Twitter
WhatsApp
Reddit
Telegram

Leave a Comment

Weather Forecast

DELHI WEATHER

पंचांग

error: Content is protected !!