राजू तोले
सुकमा बस्तर के माटी समाचार, 25 जुलाई 2024/ बुधवार को ग्राम धोबनपाल विकासखंड छिंदगढ़ के कृषकों ने मैदानी भम्रण में पहुंचे कृषि विज्ञान के पादप रोग विशेषज्ञ राजेन्द्र प्रसाद कश्यप एवं कीट विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. योगेश कुमार सिदार ने अरहर कि बुआई, अच्छा उत्पादन व बिमारियों से बचाने के उपाय बताय। विशेषज्ञों ने बताया कि अरहर में फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए उत्तम बीज का होना अनिवार्य है, उत्तम बीजों के चुनाव के बाद, उनका उचित बीजोपचार भी जरूरी है। क्योंकि बहुत से रोग बीजों से फैलते है। कई बार किसान जल्दबाजी में बीज का उपचार किए बिना ही बुवाई कर देते है। जिससे फसल में प्रारंभिक अवस्था में ही कई तरह के रोग एवं कीटों का प्रकोप दिखने लगता है। रोग जनकों, कीटों एवं असामान्य परिस्थितियों से बीज को बचाने के लिए बीजोपचार एक महत्वपूर्ण उपाय है। अरहर मे कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जो केवल बीज उपचार के द्वारा ही रोकी जा सकती है जिनका बाद में कोई ईलाज नहीं जैसे उकठा रोग (विल्ट), तना अंगमारी (स्टेम ब्लाइट) बीज उपचार करने से बीजों को रोगमुक्त किया जा सकता है और फसल से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। विशेषज्ञ ने किसान के खेत मे जा कर बीज उपचार की विधि किसानों को सिखाई इसके लिए सबसे पहले बीजों को बुवाई के पहले प्रति किलो बीज रखकर उसके ऊपर ट्राइकोडर्मा 6 – 8 ग्राम पाउडर डाले और थोड़ा पानी छिड़ककर मिश्रित करे, उसके बाद बीज पर एक परत चढ़ जाने पर उसे छायेदार जगह पर फैलाकर हवा में सूखने दें, फिर बुआई करें।
विशेषज्ञ ने किसानों को एक दिवसीय प्रशिक्षण में ट्राइकोडर्मा के बारे में विस्तार से जानकारी दी कि यह एक घुलनशील जैविक फफूंदनाशक है, जो ट्राइकोडर्मा विरडी या ट्राइकोडर्मा हरजिएनम पर आधारित है। ट्राइकोडर्मा फसलों में जड़ तथा तना गलन/सड़न उकठा (फ्यूजेरियम आक्सीस्पोरम, स्केल रोसिया डायलेक्टेमिया )जो फफूंद जनित है, फसलों पर लाभप्रद पाया गया है। धान, गेहूं, दलहनी फसलें, गन्ना, कपास, सब्जियों फलों एवं वृक्षों पर रोगों से यह प्रभावकारी रोकथाम करता है ट्राइकोडर्मा का उपयोग बीज उपचार, कंद उपचार, सीड प्राइमिंग, मृदा शोधन, नर्सरी उपचार, कलम उपचार,जड़ उपचार व खड़ी फसलो में छिड़काव भी किया जाता है। इस दौरान किसान मित्र महादेव मरकाम सहित कृषकगण व ज्योतिष पोटला उपस्थित थे।