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कोंडागांव के छात्रों ने जनसंख्या शिक्षा प्रयोजन प्रतियोगिता में किया जिले का नाम रौशन

सत्यानंद यादव

कोंडागांव बस्तर के माटी समाचार 14 सितम्बर 2024/ कोंडागांव जिले के छात्रों ने संभाग स्तर पर आयोजित राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा प्रयोजन प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए जिले का नाम गौरवान्वित किया है। इस प्रतियोगिता का आयोजन जगदलपुर में किया गया जिसमें संभाग के सभी जिलों से चयनित छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। प्रतियोगिता में रोल प्ले, लोक नृत्य और पोस्टर मेकिंग जैसी विधाओं में प्रतिस्पर्धा की गई।
कोंडागांव जिले से चयनित प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न श्रेणियों में शीर्ष स्थान हासिल किए। पीएम सेजेस महात्मा गांधी वार्ड के छात्र-छात्राओं ने लोक नृत्य प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। इस टीम में कोमल, ख्वाहिश, अदिति, भूमिका, विद्या, और दीपिका जैसे प्रतिभावान छात्र-छात्राएं शामिल थीं। वहीं सेजेस श्यामपुर के छात्र-छात्राओं ने रोल प्ले प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। इस टीम में कीर्ति, याभेश, यशवंत, पुष्कर, घनश्याम और धैर्य शामिल थे। पोस्टर प्रतियोगिता में भी कोंडागांव ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जहां पीएम श्री सेजेस महात्मा गांधी वार्ड की हर्षिका सोनी ने तृतीय स्थान हासिल किया। इस प्रतियोगिता के रोल प्ले के निर्देशक संदीप मंडल और लोक नृत्य के निर्देशक बृजेश पवार थे, जिन्होंने अपने मार्गदर्शन से प्रतिभागियों को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम के जिला प्रभारी पीएम सेजेस महात्मा गांधी वार्ड के व्याख्याता अखिलेश गायधने ने इस अवसर पर जनसंख्या शिक्षा की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा वर्तमान समय में भारत जनसंख्या के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है और अनुमान है कि वर्ष 2026 तक हम चीन से भी आगे निकल जाएंगे। ऐसी स्थिति में जनसंख्या शिक्षा की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। उन्होंने यूनेस्को के परिभाषा का हवाला देते हुए कहा जनसंख्या शिक्षा एक शैक्षिक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य छात्रों में परिवार, समुदाय, राष्ट्र और विश्व की जनसंख्या की स्थिति को समझते हुए जिम्मेदार दृष्टिकोण और व्यवहार विकसित करना है। इस शिक्षा के माध्यम से हम जनसंख्या को नियंत्रित कर देश को तेज गति से विकास के मार्ग पर ले जा सकते हैं।
अखिलेश गायधने ने इस तरह की प्रतियोगिताओं के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे छात्रों में न केवल जनसंख्या शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ती है, बल्कि वे समाज में इसके महत्व को भी समझते हैं। इसके साथ ही, छात्रों में सहयोग, आत्मविश्वास और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे गुण भी विकसित होते हैं।

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