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एक ऐसा गांव जहां का युवा रस्सी देख करते हैं आत्महत्या करने की इच्छा,विज्ञान के बाद अब ग्राम देवी के शरण में ग्रामीण

गए बैल बांधने वाले रस्सी को घर में छुपा के रखते हैं ग्रामीण ।

गांव में हो रहा है रात जगा ।

ग्राम के बुजुर्ग घर-घर जाकर कर रहे हैं युवाओं से चर्चा

आत्महत्या बनी पहली, 20 साल के बाद गांव में फिरआया है मौत का आतंक !

इंदा गांव में आत्महत्याओं का सिलसिला 23 दिन में 16 सुसाइड अटेम्प्ट 13 को बचाया गया तीन की मौत

इंदागांव में आत्महत्या का बढ़ता साया, प्रशासन चिंतित

गरियाबंद: मैनपुर विकासखंड के इंदागांव बस्ती में पिछले 20 दिनों में 15 से अधिक लोगों ने आत्महत्या का प्रयास किया, जिनमें से तीन लोगों की जान चली गई, जबकि बाकी को समय रहते बचा लिया गया। इस भयावह स्थिति ने पूरे गांव को चिंता में डाल दिया है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि हर दिन कोई न कोई आत्महत्या के बारे में सोच रहा है।

गांव में बढ़ते आत्महत्या के मामलों को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने लगातार जांच की। स्वास्थ्य विभाग और मनोवैज्ञानिकों की टीम भी गांव पहुंची, लेकिन समस्या की जड़ तक पहुंचना अब भी चुनौती बना हुआ है। प्रशासन के प्रयासों को नाकाफी मानकर ग्रामीण अब देवी-देवताओं की शरण में भी पहुंच गए हैं और इस संकट से मुक्ति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।

ग्रामीणों ने गिनाई समस्याएं

गांव के लोगों का मानना है कि आत्महत्या के पीछे बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, बैंक सेवाओं का अभाव और पुश्तैनी जमीन के पट्टे न मिलने जैसी समस्याएं जिम्मेदार हैं।

पूर्व उपसरपंच रूपसिंह बस्तिया ने बताया, “गांव में रोजगार की भारी कमी है। युवाओं को कहीं काम नहीं मिल रहा, जिससे वे अवसाद में जा रहे हैं।”

पीड़ित कृषक मन्नू राम महाकुर ने अपनी व्यथा साझा करते हुए कहा, “चार पीढ़ियों से खेती कर रहे हैं, लेकिन अब तक जमीन का पट्टा नहीं मिला। खेती का कोई भरोसा नहीं, ऊपर से कर्ज बढ़ता जा रहा है।”

ग्रामीण नन्हे सिंह यादव ने कहा, “गांव में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। न अस्पताल ठीक से काम करता है, न स्कूल में अच्छी शिक्षा मिलती है। ऐसी स्थिति में लोग तनाव में आकर आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं।”

प्रशासन का प्रयास जारी

इंदागांव में लगातार आत्महत्या के मामलों ने प्रशासन को भी चिंता में डाल दिया है। स्वास्थ्य विभाग और मनोरोग विशेषज्ञों की टीम गांव में काउंसलिंग कर रही है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इन घटनाओं के पीछे नशे की लत भी एक बड़ा कारण हो सकता है।

मनोवैज्ञानिक राजेंद्र प्रसाद निराला के अनुसार, “युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति चिंता का विषय है। अवसाद और नशे की लत आत्महत्या के प्रमुख कारणों में से एक है

अब देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर समस्या का समाधान कब तक निकाल पाता है और इंदागांव के लोग इस भयावह दौर से कब उबर पाते हैं।

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