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अभी-अभी अज्ञात वाहन के टक्कर में एक हिरण का दर्दनाक मौत । सवाल फिर वही ,जिम्मेदार कौन ?


अज्ञात वाहन की टक्कर से हिरण की मौत, वन्यजीव संरक्षण पर फिर उठे सवाल

गरियाबंद (NH130C)।
तौरेंगा के पास देवोभोग-गरियाबंद मार्ग पर शनिवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब एक अज्ञात वाहन की तेज रफ्तार टक्कर से एक हिरण की मौके पर ही मौत हो गई। हादसा इतना भयावह था कि टक्कर के बाद हिरण का एक पैर अलग हो गया। यह घटना न केवल क्षेत्र में बढ़ रही वाहन दुर्घटनाओं की ओर इशारा करती है, बल्कि वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंता उत्पन्न करती है।

प्राथमिक जानकारी के अनुसार, उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला यह इलाका वन्यजीवों की गतिविधियों के लिए संवेदनशील माना जाता है। लेकिन जंगलों के लगातार खत्म होते जाने और पानी की कमी के कारण जानवरों को गांव की ओर आते देखा जा रहा है। यही कारण है कि हादसे जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग द्वारा सड़क किनारे चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं, जिनमें लिखा होता है कि यह इलाका वन्यजीवों के मार्ग में आता है और वाहन चालकों को धीमी गति से चलने की सलाह दी जाती है। परंतु तेज रफ्तार वाहन इन चेतावनियों को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे ऐसे हादसे हो रहे हैं।

वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर मृत हिरण का पोस्टमार्टम किया और आवश्यक कार्रवाई शुरू की है। अनुमान लगाया जा रहा है कि टक्कर तेज रफ्तार वाहन से हुई होगी, जिससे जानवर को संभलने का मौका नहीं मिला।

जंगल का क्षरण और खतरे में वन्यजीव

वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, क्षेत्र में अतिक्रमण, लाल ईट भट्टी,वन अधिकार पट्टा और कीमती लकड़ियों के लालच में जंगल तेजी से समाप्त हो रहे हैं। यदि यह सिलसिला नहीं रुका, तो वन्यजीवों के पास गांवों की ओर आने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष और बढ़ेगा।

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि विभाग को सड़क किनारे सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए, ताकि ऐसे मामलों में वाहन की पहचान की जा सके और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। साथ ही, जंगल में बनी डाबरी (जलाशयों) में पानी भरने की व्यवस्था लगातार की जानी चाहिए, जिससे जानवरों को गांव की ओर पानी की तलाश में न आना पड़े।

पर्यावरण संतुलन की पुकार

यह घटना पर्यावरण संतुलन को लेकर गंभीर संकेत देती है। यदि जंगल समाप्त हो जाएंगे, तो न केवल वन्यजीव संकट में आएंगे, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ेगा। ऐसे में समय रहते जागरूकता और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।


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