दिनांक: 26 अप्रैल, 2025
स्थान: महुलपारा मुडगेल माल
24 अप्रैल को हुई आदेश बाहक (न्यायालय के कोर्ट का आदेश लाने वाले कर्मचारी) के साथ मारपीट की घटना में नया मोड़ आ गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने इस पूरे मामले को एक नई दिशा दे दी है। वायरल वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि आदेश बाहक द्वारा महिला के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उसका हाथ पकड़कर घसीटने और अभद्र भाषा का प्रयोग करने जैसी घटनाएं सामने आई हैं।

वीडियो में यह भी सामने आया है कि जब आदेश बाहक महिला के साथ बदसलूकी कर रहा था, तभी महिला का बेटा, जो गूंगा और भौंरा है, अपनी मां के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को सहन नहीं कर पाया और आदेश बाहक पर हमला कर दिया। इसके बाद जब आदेश बाहक ने पलटकर गूंगा पर प्रहार किया, तो मौके पर मौजूद अन्य परिजनों ने भी उस आदेश बाहक से हाथापाई की।

इस घटना के बाद अब मामला एकतरफा न होकर जटिल होता नजर आ रहा है। बताया जा रहा है कि घटना के दिन सुबह 11 बजे के आसपास आदेश बाहक एक आर आई,पटवारी और कोटवार के साथ मौके पर पहुँचा था और परिजनों को 10 दिनों के भीतर घर खाली करने का आदेश दिया था। इस दौरान भी आदेश बाहक द्वारा गलत भाषा का इस्तेमाल और धमकी दिए जाने के आरोप सामने आए हैं।
हालांकि, घटना का वास्तविक झगड़ा दोपहर 1:30 से 2:00 बजे के बीच हुआ, जबकि उस समय आर .आई,पटवारी और कोटवार वहां से जा चुके थे। इसके बावजूद, उनका घटना के गवाह बनकर सामने आना कई सवाल खड़े कर रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए, तो सच्चाई कुछ और ही सामने आ सकती है। न्यायालय के आदेश के बाद घर खाली कराने की प्रक्रिया के दौरान यदि आदेश बाहक ने मर्यादा का उल्लंघन करते हुए महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और बलप्रयोग किया है, तो यह न सिर्फ उनकी भूमिका पर सवाल उठाता है, बल्कि उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
आदेश वॉक का कार्य सिर्फ आदेश को सामने वालों तक का पहुंचने का रहता है ना कि गाली गलोज करना व गलत भाषा का इस्तेमाल करते हुए सामने वालों को धमकी देना ।
घर खाली करने का काम बाकी राजस्व अधिकारी और पुलिस का होता है ना की आदेश बाहक का । कोर्ट में जीते हुए प्रत्याशी के घर खाना खाकर , पारा मै जाकर वीडियो बनाते हुए गाली गलौज करना व महिलाओं को असम्मान करना और बाद में लड़ाई करना और इसी मामले में 6 व्यक्ति और महिला के ऊपर केस करना और मौजूद नहीं रहे री पटवारी गवाह देना किसी और दूसरा मकसद तो नहीं ?

यह मामला अब पुलिस और न्यायालय दोनों के लिए एक चुनौती बन गया है। सभी पक्षों की जांच के बाद ही सही दोषी का निर्धारण हो सकेगा।
आगे की कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
