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कमाल सिर्फ और सिर्फ डॉ. गिरधर ही कर सकते हैं। उन्होने गीता का अनुवाद कर ना केवल किसी समाज बल्कि पाठक और संत समाज पर बहुत बड़ा उपकार किया है

अजीत यादव

रायपुर बस्तर के माटी समाचार कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थावे विद्यापीठ के कुलपति और राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ के पूर्व अध्यक्ष डॉ.विनय पाठक ने किया। उन्होने बताया कि मंच से गीता और गीता रहस्य पर बहुत कुछ कहा और सुना गया। मेरे लिए अब कुछ ज्यादा बोलने को रह नहीं गया है। इतना जरूर कहूंगा…गीता ग्रंथ जितना दुरूह है..उससे कहीं ज्यादा दुरूह उसका अनुवाद करना है। प्रांज्जल संस्कृत भाषा में लिखी गयी गीता ग्रंथ के श्लोक के मर्म को जस के तस हिन्दी में गीतमय अन्दाज में पेश कर देना ड़ॉ.गिरधर के ही बस की बात है। कहना बहुत आसान है…लिखना बहुत मुश्किल है। गीता को पढ़कर पहले आत्मसात करना..फिर अपनी मन बुद्धि से गीता ग्रंथ की आत्मा में घुसकर लिखना बहुत बड़ा कमाल है। मैं दावा कर सकता हूं कि यदि तिलक की गीता को याद रखा जाएगा तो गिरधर की गीता को भी हिन्दी जगत की दुनिया कभी नहीं भुला पाएगी। तिलक का गीता मराठी से हिन्दी में आया है।

डॉ.गिरधर..साहित्य जगत के नाभादास

कार्यक्रम के अन्त में महामण्डलेश्वर स्वामी हरिहरानन्द ने गिरधर की गीता पर प्रकाश डाला। उन्होने महाभारत के प्रसंग को याद करते हुए कहा कि यदि गीता का जन्म नहीं हुआ होता तो आज हम दुर्य़ोधन के कार्यकाल में रहते। हमें आज निश्चित करना है कि दुर्य़ोधन के काल में रहें या रामायण काल में। सब कुछ हमारी इच्छा पर निर्भर करता है। यदि गीता का जन्म नहीं होता तो निश्चित रूप से हमें दुर्योधन काल में ही रहना पड़ता।

स्वामी हरिहरानन्द ने बताया कि कुरूक्षेत्र के बीच मैदान में गीता का उपदेश कृष्ण की नीति का हिस्सा था। उन्होने अर्जुन के बहाने दुनिया को ज्ञान,कर्म और योग का संदेश दिया। गाय ग्वाला और बछड़ा के बहाने गीता के जन्म पर प्रकाश डाला। स्वामी हरिहरा नन्द ने कहा कि यह सच है कि गिरधर को संस्कृत भाषा का ज्ञान नहीं है। फिर गीता की प्रांजल्ल संस्कृत को समझने का सवाल ही नहीं उठता है। वह मेरे गुरूभाई हैं…मैं अच्छी तरह से जानता हूं..उन्होने गिरधर गीता रहस्य का लेखन गुरूकृपा से ही किया है। हरिहरानन्द ने डॉ.गिरधर अग्रवाल को साहित्य जगत का नाभादास बताया। उन्होने बताया कि जिस तरह गुरू अग्रदेव के शिष्य नाभादास ने अपने गुरू की सदइच्छा को समझने में देर नहीं कि..उसी तरह डॉ.गिरधर ने भी गुरू शारदानन्द सरस्वती की मर्म को समझते हुए आज सबके लिए गीता रहस्य की रचना कर चमत्कार किया है। मुझे विश्वास है कि हिन्दी में लिखी गयी गिरधर गीता रहस्य को सर्वाधिक पढ़ा और गुना जाएगा।

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