मैनपुर, बिरिघाट पंचायत: सरकार भले ही हर नागरिक को खाद्य सुरक्षा देने की बात करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। ताजा मामला मैनपुर जनपद के बिरिघाट पंचायत का है, जहां 78 वर्षीय बुजुर्ग अंतोराम यादव को फरवरी माह का राशन नहीं मिल सका। वजह? उनका फिंगर प्रिंट मशीन में नहीं आया।
बुजुर्गों और असहाय लोगों के लिए यह एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। गांव के कई वृद्ध महिला-पुरुष किसी की सहायता से उचित मूल्य की दुकान तक पहुंचते हैं, लेकिन फिंगर प्रिंट की तकनीकी समस्या के कारण उन्हें बिना राशन के लौटना पड़ता है। यह कितनी बड़ी विडंबना है कि सरकार द्वारा दिए गए उनके हक का अनाज, एक छोटी सी तकनीकी खामी के कारण उन्हें नहीं मिल रहा।
भूख के आगे तकनीक का रोड़ा

भारत में हर नागरिक को खाद्य सुरक्षा का अधिकार मिला हुआ है, लेकिन जब फिंगर प्रिंट जैसी समस्याओं के कारण जरूरतमंदों को राशन नहीं मिलता, तो यह सवाल उठता है कि क्या तकनीकी त्रुटियों के आगे इंसान की भूख छोटी पड़ गई है? सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी नागरिक केवल इस कारण भूखा न सोए।
राशन घोटाले और काला बाजारी पर सरकार की चुप्पी
एक तरफ जरूरतमंद लोग राशन के लिए भटक रहे हैं, तो दूसरी ओर सरकारी दुकानों से अनाज की कालाबाजारी का खेल जारी है। स्थानीय लोग बताते हैं कि कई गांवों में बड़े व्यापारी सरकारी राशन खरीदकर उसे ट्रकों में लोड कर पड़ोसी राज्यों में सप्लाई कर रहे हैं। जब हजारों किलो राशन की हेराफेरी हो सकती है, तो फिर एक बुजुर्ग को उसके हक का चावल देने में इतनी सख्ती क्यों?
सरकार से गुहार
गांव के प्रवासी और स्थानीय लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि बुजुर्गों और जरूरतमंदों को तकनीकी समस्याओं के बावजूद उनका राशन दिया जाए। यदि किसी का फिंगर प्रिंट मशीन में नहीं आता, तो उसका वैकल्पिक समाधान निकालकर उन्हें राशन दिया जाना चाहिए। भूख किसी नियम की मोहताज नहीं होती, और सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी नागरिक अपने हक के अनाज से वंचित न रहे।